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________________ १६२६ भगवती सूत्र - श. ९ उ. २ गांगेय प्रश्न - प्रवेशनकं एक विकल्प बनता है। इस प्रकार वालुकाप्रमा के साथ ३-२-१ = ये ६ विकल्प होते हैं ।) अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमः प्रभा में होता है | अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तम पृथ्वी में होता है । ( इस प्रकार पंकप्रभा और धूमप्रभा के साथ दो विकल्प होते हैं ।) अथवा एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधः सप्तम पृथ्वी में होता है । ( इस प्रकार पंकमा के साथ २-१ = ये ३ विकल्प होते हैं ।) अथवा एक धूमप्रभा में, एक तमः प्रभा में और एक अधः सप्तम पृथ्वी में होता है । ( इस प्रकार धूमप्रभा पृथ्वी के साथ एक विकल्प होता है । ( १५-१०-६-३-१ ये सब मिलकर त्रिक संयोगो पैंतीस विकल्प तथा पैंतीस ही भंग होते हैं । विवेचन - यदि तीन जीव नरक में उत्पन्न होंवे तो उनके असंयोगी (एक-एक ) ७, द्विक संयोगी ४२ और त्रिक संयोगी ३५, ये सव ८४ भंग होते हैं । जो ऊपर बतला दिये गये हैं । ४ १४ प्रश्न - चत्तारि भंते ! णेरइया रइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा - पुच्छा । १४ उत्तर - गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा, जाव अहे सत्तमाए वा होजा । अहवा एगे रयणप्पभाए तिष्णि सकरप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए तिष्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिष्णि अहेसत्तमाए होजा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो असत्तमाए होज्जा | अहवा तिणि रयणप्पभाए एगे सकरप्प Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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