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भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
हैं । इसलिये उनकी उत्पत्ति और उद्वर्तन सान्तर नहीं, निरन्तर होता है । एकंद्रियों के सिवाय शेष सभी जीवों की उत्पत्ति और मरण में अन्तर संभव है, इमलिये वे सान्तर और निरन्तर दोनों प्रकार से उत्पन्न होते हैं और मरते हैं।
गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
९ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! पवेसणए पण्णत्ते ।
९ उत्तर-गंगेया ! चउविहे पवेसणए पण्णत्ते, तं जहा-णेरइय. पवेसणए, तिरिक्खजोणियपवेसणए, मणुस्सपवेसणए, देवपवेसणए ।
१० प्रश्न-णेरइयपवेसणए णं भंते ! कइविहे पण्णते ?
१० उत्तर-गंगेया ! सत्तविहे पण्णत्ते, तें जहा-रयणप्पभापुढविणेरइयपवेसणए, जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयपवेसणए। .
११ प्रश्न-एगे णं भंते ! णेरइए णेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होजा, सकरप्पभाए होजा, जाव अहे सत्तमाए होजा?
११ उत्तर-गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा, जाव अहेसत्तमाए वा होजा। .
कठिन शब्दार्थ-पवेसणए-प्रवेशनक (एक गति से दूसरी गति में प्रवेश करना-जाना)।
भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रवेशनक (उत्पाद-उत्पत्ति) कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर-हे गांगेय ! प्रवेशनक चार प्रकार का कहा गया है। यथा
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