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भगवती सूत्र - श. १२ उ. १० परमाणु आदि की सद्रूपता
एक
के तीन भंग देश की अपेक्षा हैं, जो कि द्विसंयोगी है । द्विदेशी स्कन्ध होने से उसके देश की स्वपर्यायों द्वारा सद्रूप की विवक्षा की जाय और दूसरे देश की पर पर्यायों द्वारा असद्रूप से विवक्षा की जाय, तो द्विप्रदेशी स्कन्ध अनुक्रम में कथंचित् सद्रूप और कथंचित् असद्रूप होता है । उसके एक देश की स्वपर्यायों द्वारा मद्रूप से विवक्षा की जाय और दूसरे देश से सदसद् उभयरूप से विवक्षा की जाय, तो कथंचित् मद्रूप और कथंचित् अवक्तव्य कहलाता है । उस स्कन्ध के एक देश की पर्यायों द्वारा असद्रूप से विवक्षा की जाय और दूसरे देश की उभयरूप से विवक्षा की जाय, तो अमद्प और अवक्तव्य कहलाता है । कथंचित् सद्रूप कथंचित् असद्रूप और कथंचित् अवक्तव्य संप, इस प्रकार सातवां भंग द्विप्रदेशी स्कन्ध में नहीं बनता है । क्योंकि उसके केवल दो अंग ही हैं । त्रि प्रदेशी आदि स्कन्ध में तो ये सातों भंग बनते हैं ।
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१९ प्रश्न - आया भंते! तिपएसिए खंधे अण्णे तिपपसिए स्वधे ? -
१९ उत्तर - गोयमा ! तिपएसिए बंधे १ सय आया २ सिय णो आया ३ सिय अवत्तव्वं आयाइ य णो आयाइ य ४ सिय आया य णो आया ५ सय आया य णो आयाओ य ६ सिय आयाओ य
आया ७ सय आया य अवत्तव्यं आयाइ य णो आयाइ य ८ सिय आया य अवत्तव्वाई आयाओ य णो आयाओ य ९ सय आयाओ य अवत्तव्वं आयाइ य णो आयाइ य १० सिय णो आया य अवत्तव्वं आयाइ य णो आयाइ य ११ सिय णो आया य अवत्तव्वाई आयाओ यो आयाओ य १२ सिय णो आयाओ य अवत्तव्वं आया य णो आया य १३ सय आया य णो आया य अवत्तव्वं आयाइ य
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