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मंगपती मूत्र-ग... १० परमाणु आदि की गदपता
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आयाइ य णो आयाइ य, से तेणटेणं तं चेव जाव ‘णोआयाइ य'।
भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु-पुद्गल सद्प है या असद्रूप है ?
१६ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार सौधर्म देवलोक के विषय में कहा है उसी प्रकार परमाणु-पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिये ।
१७ प्रश्न-हे भगवान ! द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप है या असद्रूप ? ।
१७ उत्तर-हे गौतम ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् सद्प है । कथंचित असद्प है और सदतद्रूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है । ४ कथंचित् सद्प है और कथंचित् असद्रूप है । ५ कथंचित् सद्रूप है और सदसद्उभयरूप होने से अवक्तव्य है । ६ कथंचित् असद्रूप है और संदसद्उभयरूप होने से अवक्तव्य है।
१८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या कारण है कि यावत् अवक्तव्यरूप है ?
१८ उत्तर-हे गौतम ! द्विप्रदेशी स्कन्ध अपने स्वरूप की अपेक्षा सद्रूप है, परस्वरूप को अपेक्षा असद्रूप है और उभयरूप से अवक्तव्य है । एक देश की अपेक्षा एवं सद्भाव पर्याय की विवक्षा तथा एक देश की अपेक्षा से एवं असद्भाव पर्याय की विवक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्प और असद्रूप है । ५ एक देश की अपेक्षा, सद्भाव पर्याय की अपेक्षा और एक देश की अपेक्षा से सदभाव और असद्भाव, इन दोनों पर्यायों की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप और सदसद्प उभयरूप होने से अवक्तव्य है। ६ एक देश की अपेक्षा, असद्भाव पर्याय की. अपेक्षा और एक देश के सद्भाव असद्भावरूप उभय पर्याय की अपेक्षा द्विप्रदेशी स्कन्ध असद्प और अवक्तव्यरूप है । इस कारण पूर्वोक्त प्रकार से कहा है ।
विवेचन--द्वि प्रदेशी स्कन्ध के विषय में छह भंग बनते हैं, इनमें से पहले के तीन भग सम्पूर्ण स्कन्ध को अपेक्षा से बनते हैं जो कि पहले कहे गये हैं। ये असंयोगी है । बाकी
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