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________________ भगवती सूत्र - श. १२ उ. ९ भव्यद्रव्यादि पांच प्रकार के देव गुणा, धम्मदेवा संखेज्जगुणा, भवियदव्वदेवा असंखेज्जगुणा, भावदेवा असंखेज्जगुणा । ३७ प्रश्न - एएसि णं ते! भावदेवाणं भवणवासीणं, वाणमंतराणं, जोइसियाणं, वेमाणियाणं सोहम्मगाणं, जाव अच्चुयगाणं, गेवेज्जगाणं, अणुत्तरोववाइयाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? २१०३ ३७ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवा अणुत्तरोववाइया भावदेवा, उवरिमगेवेज्जा भावदेवा संखेज्जगुणा, मज्झिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, हेडिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, अच्चुए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, जाव आणयकप्पे देवा संखेज्जगुणा, एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिसे अप्पाबहुयं जाव जोइसिया भावदेवा असंखेज्जगुणा । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ णवमो उद्देसओ समत्तो ॥ भावार्थ - ३६ प्रश्न - हे भगवन् ! इन भव्यद्रव्यदेव, नरदेव यावत् भावदेव में से कौन किससे अल्प, बहुत या विशेषाधिक हैं ? Jain Education International ३६ उत्तर - हे गौतम ! सबसे थोड़े नरदेव होते हैं, उनसे देवाधिदेव संख्यात गुण, उनसे धर्मदेव संख्यात गुण, उनसे भव्यद्रव्यदेव असंख्यात गुण और उनसे भावदेव असंख्यात गुण होते हैं । ३७ प्रश्न - हे भगवन् ! भावदेव, भवनपति, बाणव्यन्तर, ज्योतिषी, वंमा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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