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________________ २०१८ उववजंति ? भगवती सूत्र - १२उ ९ भव्यद्रव्यादि पांच प्रकार के देव २८ उत्तर - गोयमा ! सिज्झति जाव अंतं करेंति । २९ प्रश्न - भावदेवा णं भंते ! अनंतरं उव्वद्वित्ता- पुच्छा । २९ उत्तर - जहा वक्कंतीए असुरकुमाराणं उववट्टणा तहा भाणियव्वा । कठिन शब्दार्थ - उब्वट्टित्ता- निकल कर । भावार्थ - २४ प्रश्न - हे भगवन् ! भव्यद्रव्यदेव मरकर तुरन्त नैरयिकों में यावत् देवों में उत्पन्न होते हैं ? २४ उत्तर - हे गौतम! नैरयिक, तिर्यंच और मनुष्यों में उत्पन्न नहीं होते, देवों में उत्पन्न होते हैं और देवों में भी सभी देवों में यावत् सर्वार्थसिद्ध तक उत्पन्न होते हैं । २५ प्रश्न - हे भगवन् ! नरदेव मरने के बाद तत्काल किस गति में उत्पन्न होते हैं ? २५ उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं । तिर्यंच, मनुष्य और देवों में उत्पन्न नहीं होते । नैरयिकों में भी सातों नरकं पृथ्वियों में उत्पन्न होते हैं। २६ प्रश्न - हे भगवन् ! धर्मदेव आयु पूर्ण कर तत्काल कहाँ उत्पन्न होते हैं ? २६ उत्तर - हे गौतम! वे नरक, तियंच और मनुष्यों में उत्पन्न नहीं होते, देवों में उत्पन्न होते हैं । Jain Education International २७ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि धर्मदेव, देवों में उत्पन्न होते हैं, तो भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी या वैमानिक देवों में उत्पन्न होते हैं ? २७ उत्तर - हे गौतम! भवनपति, वाणव्यन्तर और ज्योतिषी देवों में For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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