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________________ भगवती मूत्र-ग. १.उ. ३१ सोच्चा केवली अयोगी होता है ? ३७ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार 'असोच्चा' के विषय में कहा, उसी प्रकार यहाँ भी योग, उपयोग, संहनन, संस्थान, ऊँचाई और आयुष्य, इन सभी के विषय में कहना चाहिये। ___३८ प्रश्न-हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सवेदी होता है, या अवेदी? ___३८ उत्तर-हे गौतम ! वह अवधिज्ञानी सवेदी होता है अथवा अवेदी होता है। ___ ३९ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह अवेदी होता है, तो क्या उपशांत वेदी होता है, या क्षीण वेदी होता है ? ३९ उत्तर-हे गौतम ! वह उपशांत वेदी नहीं होता, किन्तु क्षीण वेदी होता है। ४० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है, तो क्या स्त्री-वेदी होता है, पुरुष-वेदी होता है, नपुंसक-वेदी होता है, या पुरुषनपुंसक-वेदी होता है ? ४० उत्तर-हे गौतम ! वह स्त्री-वेदी होता है अथवा पुरुष-वेदी होता है अथवा पुरुषनपुंसक-वेदी होता है । ४१.प्रश्न-हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सकषायी होता है, या अकषायो ? ४१ उत्तर-हे गौतम ! वह सकषायी होता है अथवा अकषायी होता है । ४२ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह अकषायी होता है, तो क्या उपशांत कषायी होता है, या क्षीण कषायो ? ___ ४२ उत्तर-हे गौतम ! वह उपशांत कषायी नहीं होता, किन्तु क्षीणकषायी होता है। - ४३ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है,तो कितने कषायों में होता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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