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________________ भगवती मूत्र-ग. १२ उ. ६ चन्द्र सूर्य के भोग २०६७ चन्द्र सूर्य के भोग ५ प्रश्न-चंदस्म णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? ५ उत्तर-जहा दसमसए जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं । सूरस्स वि तहेव । ६ प्रश्न-चंदिम-सूरिया णं भंते ! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुभवमाणा विहरंति ? ६ उत्तर-गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणुढाण बलत्थे पढमजोव्वणुटाणवलत्थाए भारियाए सदिध अचिरवत्तविवाहकजे, अत्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवासिए, से णं तओ लढे, कयकजे, अणहसमग्गे पुणरवि णियगगिहं हव्वमागए, पहाए कयवलि'कम्मे, कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते, सव्वालंकारविभूसिए मणुण्णं थालिपागसुद्धं अट्ठारसवं जणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे, तंति तारिस. गंसि वासघरंसि, वण्णओ महब्बले कुमारे, जाव सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए. सिंगारागारचारवेसाए जाव कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सद्धि इटे सद्दे फरिसे जाव पंच. विहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरेजा, से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमणकालसमयसि केरिसयं सायासोक्खं पञ्चणुभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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