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भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ पुद्गल परिवर्तन के भेद
२०३१
विवेचन-अनन्त प्रदेशी स्कन्ध में पहले तेरह कहकर फिर बारह बढ़ाने चाहिये । इस प्रकार अनन्त प्रदेशी स्कन्ध के पांच सौ छिहत्तर भंग होते हैं । यथा-दो सयोगी १३, तीन संयोगी २५, चार संयोगी ३७, पांच संयोगी ४९, छह संयोगी ६१, सात संयोगी ७३, आठ संयोगी ८५, नी संयोगी ९७, दस संयोगी १०९, संख्यात संयोगी १३, असंख्यात संयोगी १३ और अनन्त संयोगी १ । ये कुल मिलाकर ५७६ भंग होते हैं ।
पुद्गल परिवर्तन के भेद १३ प्रश्न-एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणा-भेयागुवाएणं अणंताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवंतीति मक्खाया ?
१३ उत्तर-हंता, गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणा० जाव मक्खाया।
१४ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? ..१४ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा१ ओरालियपोग्गलपरियट्टे २ वेवियपोग्गलपरियट्टे, ३ तेयापोग्गलपरियट्टे ४ कम्मापोग्गलपरियट्टे ५ मणपोग्गलपरियट्टे ६ वइ. पोग्गलपरियट्टे ७ आणापाणुपोग्गलपरियट्टे ।
१५ प्रश्न-णेरइयाणं भंते ! कइविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णते ?
१५ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तंजहा१ ओरालियपोग्गलपरियट्टे २ वेउब्बियपोग्गलपरियट्टे जाव ७
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