SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 462
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती मूत्र-स. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग २०१७ एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिण्णि दुपएसिया बंधा, एगयओ तिपएसिए खधे भवइ, अहवा पंच दुपएसिया बंधा भवंति । भावार्थ-जब उसके पांच विभाग किये जाय, तब एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु पुद्गल और एक ओर एक छह प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पञ्च प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा पांच द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। छहा कन्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला; एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए बंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy