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________________ भगवती सूत्र - श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग एओ दुपसिए खंधे; एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवति, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । २०१२ भावार्थ- जब नौ प्रदेशी स्कन्ध के पाँच विभाग किये जायें, तब एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु- पुद्गल और एक ओर एक पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु- पुद्गल और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते है, अथवा एक ओर पृथक्पृथक् दो परमाणु- पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु- पुद्गल और एक ओर चार द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ चउएसिए खंधे भव; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिष्णि दुप्पएसिया खंधा भवंति । भावार्थ- जब नौप्रदेशी स्कन्ध के छह विभाग किये जायें तब एक ओर पृथक्-पृथक् पाँच परमाणु- पुद्गल और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक् Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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