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________________ २०१० भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु ओर स्कन्ध के विभाग एक्के संचारतेहिं जाव अहवा एगयओ उप्पएसिए बंधे; एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ । तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति, अहवा एगयओ दुपएमिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ; अहवा तिणि तिपएसिया खंधा भवंति । ___ भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! नौ परमाणु-पुद्गलों के मिलने पर क्या बनता है ? ८ उत्तर-हे गौतम ! नौ प्रदेशी स्कन्ध बनता है। यदि उसके विभाग किये जाये, तो दो तीन यावत् नौ विभाग होते हैं । जब दो विभाग किये जायें, तब एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक अष्टप्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार एक-एक का संचार (वृद्धि) करना चाहिए। यावत् अथवा एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पंचप्रदेशी स्कंध होता है। जब उसके तीन विभाग किये जायें, तब एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक सप्तप्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कंध और एक ओर एक छह प्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणुपुद्गल, एक ओर एक विदेशी स्कंध और एक ओर एक पंचप्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर एक परमागु-पुद्गल और एक ओर दो चतुःप्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर एक विप्रदेशी स्कंध, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कंध और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कंध होता है, अथवा तीन त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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