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________________ २००६ भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग ६ उत्तर-हे गौतम ! सप्त प्रदेशी स्कन्ध बनता है । यदि उसके विभाग किये जाये, तो दो तीन यावत् सात विभाग होते हैं । जब दो विभाग किये जायें तो एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर छह प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर दो प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। जब उसके तीन विभाग किये जायें तो एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु पुद्गल और एक ओर पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर दो प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, जब उसके चार विभाग किये जायें, तब एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु पुद्गल और एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणुपुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। उसके पांच विभाग किये जायें तब एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणुपुद्मल और एक बोर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक-पृथक तीन परमाण पुदगल और एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । जब उसके छह विभाग किये जाय तो एक ओर पृथक्-पृथक् पांच परमाणु पुद्गल और एक ओर एक हिप्रदेशी स्कन्ध होता है। यदि उसके सात विभाग किये जाय तो पृथकपृथक् सात परमाणु पुद्गल होते हैं। विवेचन-छह प्रदेशी स्कन्ध के दस विकल्प होते हैं । यथा-१-५ । २-४ । ३-३ । १-१-४ । १-२-३ । २-२-२ । १-१-१-३ । १-१-२-२ । १-१-१-१-२ । १-११-१-१-१। सात प्रदेशी स्कन्ध के चौदह विकल्प होते हैं । यथा-१-६ । २-५। ३-४ । ११-५ । १-२-४ । १-३-३। २-२-३। १-१-१-४। १-१-२-३।१-२-२-२।११-१-१-३ । १-१-१-२-२ । १-१-१-१-१-२ । १-१-१-१-१-१-१ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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