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भगवती मूत्र-ग. १२ उ. २ जयंती श्रमणोपामिका के प्रश्न
१९९७
कठिन शब्दार्थ-दक्खतं-दसता-उद्यमीपन, आलसियत्तं-आलमीपन । भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन ! जीवों को सबलता अच्छी है या दुर्बलता?
८ उत्तर-हे जयन्ती ! कुछ जीवों को सबलता अच्छी है और कुछ जीवों को दुर्बलता।
प्रश्न-हे भगवन् ! क्या कारण है कि कुछ जीवों को सबलता अच्छी है और कुछ जीवों की दुर्बलता ?
उत्तर-हे जयन्ती ! जो जीव अधामिक यावत् अधर्म द्वारा ही आजीविका करते हैं, उनकी दुर्बलता अच्छी है । उन जीवों के दुर्बल होने से वे किसी जीव को दुःख आदि नहीं पहुंचा सकते, इत्यादि ‘सुप्त' के समान दुर्बलता का भी कथन करना चाहिए और जाग्रत के समान सबलता का कथन करना चाहिए । इसलिए धार्मिक जीवों को सबलता अच्छी है। इस कारण हे जयन्ती ! ऐसा कहा जाता है कि कुछ जीवों की सबलता अच्छी है और कुछ जीवों की दुर्बलता।
___९ प्रश्न-हे भगवन् ! जीवों को दक्षता ( उद्यमीपन ) अच्छी है या आलसीपन ?
___९ उत्तर-हे जयन्ती ! कुछ जीवों की दक्षता अच्छी है और कुछ जीवों का आलसीपन ।
प्रश्न-हे भगवन् ! इसका क्या कारण है ?
उत्तर-हे जयन्ती ! जो जीव अधार्मिक यावत् अधर्म द्वारा आजीविका करते हैं, उस जीवों का आलसीपन अच्छा है । यदि वे आलसी होंगे, तो प्राण, भूत, जीव और सत्त्वों को दुःख, शोक, परितापादि उत्पन्न नहीं करेंगे, इत्यादि सब सुप्त के समान कहना चाहिए। दक्षता ( उद्यमीपन ) का कथन जाग्रत के समान कहना चाहिए, यावत् वे स्व-पर और उभय को धर्म के साथ जोड़ने वाले होते हैं । वे जीव दक्ष हों, तो आचार्य, उपाध्याय, स्थविर, तपस्वी, ग्लान, शेक्ष (नवदीक्षित) कुल, गण, संघ और सार्मिक को वैयावृत्य
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