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भगवती सूत्र-श. ११ उ. १० आकाश के प्रदेश पर जीव-प्रदेश
२२ प्रश्न-लोयस्स णं भंते ! एगमि आगासपएसे जहण्णपए जीवपएसाण उबकोसपए जीवपएसाणं, सव्वजीवाणं य कयरे कयरे० जाव विसेसाहिया वा ?
२२ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा लोयस्स एगंमि आगासपएसे जहण्णपए जीवपएसा, सव्वजीवा असंखेज्जगुणा, उपकोसपए जीव. पएसा विसेसाहिया।
® सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ एक्कारससए दसमोइसो समत्तो॥
भावार्थ-२२ प्रश्न-हे भगवन् ! लोक के एक आकाश प्रदेश पर जघन्य पद में रहे हुए जीव-प्रदेश, उत्कृष्ट पद में रहे हुए जीव-प्रदेश और सभी जीव, इनमें कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? - २२ उत्तर-हे गौतम ! लोक के एक आकाश-प्रदेश पर जघन्य पद में रहे हुए जीव-प्रदेश सब से थोड़े हैं। उससे सभी जीव असंख्यात गुण हैं, उससे एक आकाशप्रदेश पर उत्कृष्ट पद से रहे हुए जीव-प्रदेश विशेषाधिक है।
.. हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कहकर गौतमस्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ग्यारहवें शतक का दसवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
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