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भगवती सूत्र-श-११ उ. १० लोव के द्रव्यादि भेद .
१० प्रश्न-हे भगवन् ! अलोक का कैसा संस्थान कहा है ? १० उत्तर-हे गौतम ! अलोक का संस्थान पोले गोले के समान कहा
११ प्रश्न-हे भगवन् ! अधोलोक क्षेत्रलोक में क्या जीव हैं, जीव के देश हैं, जीव के प्रदेश है, अजीव हैं, अजीव के देश हैं और अजीव के प्रदेश
' ११ उत्तर-हे गौतन ! जिस प्रकार दसवें शतक के प्रथम उद्देशक में ऐन्द्री दिशा के विषय में कहा, उसी प्रकार यहां भी सभी वर्णन कहना चाहिये, यावत् ‘अद्धासमय' (काल) रूप है।
१२ प्रश्न-हे भगवन् ! तिर्यग्लोक जीव रूप है, इत्यादि प्रश्न ।
१२ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् जानना चाहिये । इसी प्रकार ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक के विषय में भी जानना चाहिये, परन्तु इतनी विशेषता है कि ऊर्बलोक में अरूपी के छह भेद ही हैं, क्योंकि वहां अद्धासमय नहीं है ।
१३ प्रश्न-हे भगवन् ! लोक में जीव है, इत्यादि प्रश्न ।
१३ उत्तर-हे गौतम ! दूसरे शतक के दसवें अस्ति उद्देशक में लोकाकाश के विषय-वर्णन के अनुसार जानना चाहिये, विशेष में यहाँ अरूपी के सात भेद कहने चाहिये, यावत् अधर्मास्तिकाय के प्रदेश, आकाशास्तिकाय का देश, आकाशास्तिकाय के प्रदेश और अद्धासमय । शेष पूर्ववत् जानना चाहिये।
१४ प्रश्न-हे भगवन् ! अलोक में जीव हैं, इत्यादि प्रश्न ।
१४ उत्तर-हे गौतम ! दूसरे शतक के दसवें अस्तिकाय उद्देशक में जिस प्रकार अलोकाकाश के विषय में कहा, उसी प्रकार यहाँ भी जानना चाहिये, यावत् वह सर्वाकाश के अनन्तवें भाग न्यून है।
विवेचन-अधोलोक क्षेत्रलोक तिपाई के आकार का है, तिर्यग्लोक क्षेत्रलोक झालर के आकार का है, ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक खड़ीमृदंग के आकार का है और लोक का आकार सुप्रतिष्ठक (शराव) जैसा है, अर्थात् नीचे एक उल्टा शराव रखा जाय, उसके ऊपर एक शराव सीधा रखा जाय और उसके ऊपर एक शराव उल्टा रखा जाय, इसका जो आकार बनता
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