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भगवती सूत्र-श. ११ उ. ५ नालिक के जीव
कुंभिक की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वर्ष पृथक्त्व (दो वर्ष से नौ वर्ष तक) है। शेष सभी पूर्ववत् जानना चाहिये ।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ ग्यारहवें शतक का चतुर्थ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक ११ उद्देशक ५
नालिक के जीव
१ प्रश्न-णालिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ? १ उत्तर-एवं कुंभिउद्देसगवत्तव्वया गिरवसेसं भाणियव्वा ।
® सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॐ
॥ पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! एक पत्ते वाला नालिक (नाडिक) एक जीव वाला है या अनेक जीव वाला ?
१ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार चौथे कुंभिक उद्देशक में कहा है, उसी प्रकार यहाँ भी सभी वक्तव्यता कहनी चाहिये।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ ग्यारहवें शतक का पंचम उद्देशक सम्पूर्ण ॥ ..
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