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भगवती सूत्र-ग. ११ उ. १ उत्पल के जीव
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करते हैं ?
३६ उत्तर-हे गौतम ! वे जीव, द्रव्य से अनन्त प्रदेशी द्रव्यों का आहार करते हैं, इत्यादि प्रज्ञापना सूत्र के अट्ठाइसवें पद के पहले आहारक उद्देशक में वणित वर्णन के अनुसार वनस्पतिकायिकों का आहार यावत 'वे सर्वात्मना (सर्वप्रदेशों से) आहार करते हैं'-तक कहना चाहिए, किंतु वे नियमा छह दिशा का आहार करते है । शेष सभी वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए।
३७ प्रश्न-हे भगवन् ! उन उत्पल के जीवों की स्थिति कितने काल की है ?
३७ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट दस हजार वर्ष की है।
३८ प्रश्न-हे भगवन् ! उत्पल के जीवों में कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
३८ उत्तर-हे गौतम ! उनमें तीन समुद्घात कहे गये हैं, यथा-वेदना । समुद्घात, कषाय समुद्यात और मारणान्तिक समुद्घात ।।
. ३९ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव मारणान्तिक समुद्घात द्वारा समवहत होकर मरते हैं या असमवहत होकर ?
३९ उत्तर-हे गौतम ! वे समवहत होकर भी मरते हैं और असमवहत होकर भी।
४० प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव मर कर तुरन्त कहाँ जाते हैं और कहाँ उत्पन्न होते हैं? क्या नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, तिर्यञ्चयोनिकों में, मनुष्यों में या देवों में उत्पन्न होते हैं।
_____४० उत्तर-हे गौतम ! प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद के उद्वर्तना प्रकरण में वनस्पतिकायिक जीवों के वणित वर्णन के अनुसार यहाँ भी कहना चाहिये।
४१ प्रश्न-हे भगवन् ! सभी प्राण, सभी भूत, सभी जीव और सभी सत्त्व, उत्पल के मूलपने, कन्दपने, नालपने, पत्रपने, केसरपने, कणिकापने और थिभुगपने (पत्र के उत्पत्ति स्थानपने) पहले उत्पन्न हुए ? ..
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