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भगवती सूत्र-श. ११ उ. १ उत्पल के जीव
गइरागई करेजा।
कठिन शब्दार्थ-भवादेसेणं-भवादेश से अर्थात् भव की अपेक्षा, गइरागई-गति आगति-गमनागमन ।
भावार्थ-३० प्रश्न-हे भगवन् ! वह उत्पल का जीव, उत्पलपने कितने काल तक रहता है ?
३० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट असंख्य काल तक रहता है।
• ३१ प्रश्न-हे भगवन् ! वह उत्पल का जीव, पृथ्वीकाय में जावे और पुनः उत्पल में आवे, इस प्रकार कितने काल तक गमनागमन करता है ?
३१ उत्तर-हे गौतम ! भवादेश (भव की अपेक्षा) से जघन्य दो भव और उत्कृष्ट असंख्यात भव तक गमनागमन करता है । कालादेश से जघन्य दो अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक गमनागमन करता है।
३२ प्रश्न-हे भगवन् ! वह उत्पल का जीव, अप्कायपने उत्पन्न हो कर पुनः उत्पल में आवे, तो इस प्रकार कितने काल तक गमनागमन करता है ?
___ ३२ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार पृथ्वीकाय के विषय में कहा है, उसी प्रकार अप्काय के विषय में यावत् वायुकाय तक कहना चाहिए।
३३ प्रश्न-हे भगवन् ! वह उत्पल का जीव वनस्पति में आवे और पुनः उसी में उत्पन्न हो, इस प्रकार कितने काल तक गमनागमन करता है ?
३३ उत्तर-हे गौतम ! भवादेश से जघन्य दो भव और उत्कृष्ट अनन्त भव तक गमनागमन करता है, कालादेश से जघन्य दो अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अनन्त काल (वनस्पति काल) तक गमनागमन करता है।
३४ प्रश्न-हे भगवन् ! वह उत्पल का जीव बेइंद्रिय में जाकर पुनः उत्पल में ही आवे, तो इस प्रकार कितने काल तक गमनागमन करता है ?
३४ उत्तर-हे गौतम ! भवादेश से जघन्य दो भव, उत्कृष्ट संख्यात भव और कालादेश से जघन्य दो अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्यात काल तक गमना
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