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________________ १८६. भगवती सूत्र-श. ११ उ. १ उत्पल के जीव सक-वेद बन्धक हैं । यहाँ उच्छ्वास द्वार के अनुसार छब्बीस भंग कहना चाहिये । २८ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव संजी हैं या असंज्ञी ? २८ उत्तर-हे गौतम ! वे संज्ञी नहीं, किन्तु एक हों या अनेक जीव, वे असंज्ञी ही हैं। २९ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव सेन्द्रिय हैं या अनिन्द्रिय ? २९ उत्तर-हे गौतम ! वे अनिन्द्रिय नहीं, किन्तु एक जीव सेन्द्रिय है अथवा अनेक जीव सेन्द्रिय हैं। विवेचन-यहाँ विरति द्वार, क्रिया द्वार, बन्धक द्वार, सज्ञा द्वार, कपाय द्वार, वेद द्वार वेदवन्ध द्वार, संजी द्वार और इन्द्रिय द्वार, का कथन किया गया है । ३० प्रश्न-से णं भंते ! उप्पलजीवेत्ति कालओ केवचिरं होइ ? ३० उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असं. खेज कालं। ____३१ प्रश्न-से णं भंते ! उप्पलजीवे पुढविजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेजा ? केवइयं कालं गइरागई करेजा ? ___३१ उत्तर-गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असंखेजाइं भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं असंखेनं कालं, एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गइरागई करेज्जा। ३२ प्रश्न-से णं भंते ! उप्पलजीवे, आउजीवे०? ३२ उत्तर-एवं चेव, एवं जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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