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________________ भगवती सूत्र-श. ११ उ. १ उत्पल के जीव १८५९ कठिन शब्दार्थ-विरया-विरत । भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव सर्वविरत हैं, अविरत हैं, या विरताविरत हैं ? २१ उत्तर-हे गौतम ! वे सर्वविरत नहीं और विरताविरत भी नहीं, किन्तु एक जीव अथवा अनेक जीव अविरत ही हैं। २२ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव सक्रिय हैं, या अक्रिय ? २२ उत्तर-हे गौतम ! वे एक हो या अनेक, अक्रिय नहीं, सक्रिय हैं। २३ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव सप्तविध बन्धक हैं, या अष्टविध बन्धक ? २३ उत्तर-हे गौतम ! वे जीव सप्तविध बन्धक हैं अथवा अष्टविध बन्धक हैं । यहाँ पूर्वोक्त आठ भंग कहना चाहिये। २४ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव, आहार संज्ञा के उपयोग वाले, भयसंज्ञा के उपयोग वाले, मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले और परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले हैं ? २४ उत्तर-हे गौतम ! वे आहारसंज्ञा के उपयोग वाले हैं, इत्यादि लेश्याद्वार के समान अस्सी भंग कहना चाहिये। २५ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव, क्रोध कषायो, मान कषायी, माया. कषायी और लोभ कषायी हैं ? ___२५ उत्तर-हे गौतम ! यहाँ भी पूर्वोक्त अस्सी भंग कहना चाहिये । २६ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव स्त्रीवेद वाले, पुरुषवेद वाले और नपुंसक वेद वाले हैं। . २६ उत्तर-हे गौतम ! वे स्त्री वेद वाले नहीं, पुरुष वेद वाले भी नहीं, परन्तु एक जीव हो या अनेक, सभी नपुंसक वेद वाले हैं। २७ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव स्त्री-वेद के बन्धक, पुरुषवेद बन्धक और नपुंसक-वेद के बन्धक हैं ? - २७ उत्तर-हे गौतम ! वे स्त्री-वेद बन्धक, पुरुष वेद-बन्धक और नपुं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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