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ममवती -सूत्र-जः ११ उ. १ उत्पल के जीव :
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प्रश्न-हे भगवन् ! एक पत्ते वाला उत्पल (कमल) एक जीव वाला है, या अनेक जीवों वाला ?
२ उत्तर-हे गौतम ! एक पत्र वाला उत्पल एक जीव वाला है, अनेक जीवों वाला नहीं । जब उस उत्पल में दूसरे जीव (जीवाश्रित पत्ते आदि अवयव) उत्पन्न होते हैं, तब वह एक जीव वाला नहीं रह कर अनेक जीव वाला होता है ।
___३ प्रश्न-हे भगवन् ! उत्पल में वे जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? नैरयिक से, तिर्यञ्च से, मनुष्य से या देव से आकर उत्पन्न होते हैं ? .
- ३ उत्तर-हे गौतम ! वे जीव नरक से आकर उत्पन्न नहीं होते, वे तिर्यञ्च से, मनुष्य से या देव से आकर उत्पन्न होते हैं। यहां प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्तिपद के 'वनस्पतिकायिक जीवों में यावत् ईशान देवलोक तक के जीवों का उपपात होता है'--तक कहना चाहिये।
४ प्रश्न-हे भगवन् ! उत्पल में वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ?
४ उत्तर-हे गौतम ! वे जीव, एक समय में जघन्य एक दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं।
५ प्रश्न-हे भगवन् ! उन उत्पल के जीवों को प्रतिसमय निकाला जाय तो कितने काल में वे पूरे निकाले जा सकते हैं ?
.. ५ उत्तर-हे गौतम ! उत्पल के उन असंख्यात जीवों में से प्रतिसमय एक-एक जीव निकाला जाय, तो असंख्यात. उत्सपिणी और अवसपिणी काल बीत जाय तो भी वे सम्पूर्ण रूप से नहीं निकाले जा सकते । इस प्रकार किसी ने किया नहीं और कर भी नहीं सकता।
६ उत्तर-हे भगवन् ! उन उत्पल के जीवों के शरीर को अवगाहना कितनी बड़ी होती है ?
.. ६ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट कुछ अधिक एक हजार योजन होती है।
. विवेचन-जब उत्पल एक पत्र वाला होता है, तब उसकी वह अवस्था किशलय
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