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________________ १८२८ भगवती सूत्र-श. १० उ. ५ भूतानेन्द्र का परिवार पालाणं, णवरं इंदाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि; परिवारो जहा तइए सए पढमे उद्देसए । लोगपालाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परिवारो जहा चमरस्स लोगपालाणं । कठिन शब्दार्थ-रायहाणीओ-राजधानियां, सपुवावरेणं-पहले और पीछे का सव मिलाकर, सरिसणामगाणि-समान नाम, परिवारो-परिवार । भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज, धरण के कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? १० उत्तर-हे आर्यो ! उसके छह अग्रमहिषियों कही गई हैं। यथाइला, शुक्रा, सतारा, सौदामिनी, इन्द्रा, घनविद्युत् । इन प्रत्येक देवियों के छह-छह हजार देवियों का परिवार कहा गया है । ११ प्रश्न-हे भगवन् ! इनमें से प्रत्येक देवी, अन्य छह-छह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है ? ११ उत्तर-हाँ, आर्यो ! कर सकती है। ये पूर्वापर सब मिलाकर छत्तीस हजार देवियों की विकुर्वणा कर सकती हैं। इस प्रकार यह इन देवियों का त्रुटिक कहा गया है। प्रश्न-हे भगवन् ! धरणेन्द्र यावत् भोग भोगने में समर्थ है, इत्यादि प्रश्न ? उत्तर-पूर्ववत् जानना चाहिए, यावत् वह वहाँ मैथुन-निमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है, इसमें इतनी विशेषता है कि राजधानी का नाम धरणा, धरण सिंहासन के विषय में स्व परिवार, शेष सब पूर्ववत् कहना चाहिये। १२ प्रश्न-हे भगवन् ! नागकुमारेन्द्र, नागकुमारराज, धरण के लोकपाल कालवाल नामक महाराजा के कितनी अग्रमहिषियों कही गई हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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