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भगवती सूत्र-श. १० उ. ५. चमरेन्द्र का परिवार
सिंहासन पर बैठकर चौसठ हजार सामानिक देव, त्रायस्त्रिशक देव और दूसरे बहुत से असुरकुमार देव और देवियों के साथ प्रवृत्त होकर निरन्तर होने वाले नाटय गीत और वादिन्त्रों के शब्दों द्वारा, केवल परिवार की ऋद्धि से भोग भोगने में समर्थ है, परन्तु मैथुन-निमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है।
५ प्रश्न-चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? - ५ उत्तर-अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-१ कणगा २ कणमलया ३ चित्तगुत्ता ४ वसुंधरा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे पण्णत्ते । (प्र०) पभू णं ताओ एगमेगाए देवीए अण्णं एगमेगं देवीसहस्सं परिवार विउवित्तए ? (उ०) एवामेव सपुत्वावरेणं चत्तारि देवीसहस्सा । सेत्तं तुडिए ।
६ प्रश्न-पभू णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए मोमंसि सीहा. सणंसि तुडिएणं ?
६ उत्तर-अवसेसं जहा चमरस्स, णवरं परिवारो जहा सूरियाभस्स, सेसं तं चेव, जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं ।
७ प्रश्न-चमरस्स णं भंते ! जाव रण्णो जमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ?
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