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________________ भगवती सूत्र-ग. १० उ. ४ चमरेन्द्र के त्रास्त्रिशक देव १८१३ ____ कठिन शब्दार्थ-संकिए -शंकित हा, कंखिए-कांक्षित, वितिगिच्छिए-अत्यंत सन्देहयुक्त, अवोच्छित्तिणयहाए-अधुच्छित्ति नय (द्रव्याथिक नय) के अर्थ से, तप्पभिई-तव से। भावार्थ-३-(श्यामहस्ती, गौतम स्वामी से पूछते हैं) हे भगवन् ! क्या जब से वे काकन्दी निवासी, परस्पर सहायता करने वाले तेतीस श्रमणोपासक, असुरकुमारराज असुरेन्द्र चप्पर के त्रास्त्रिशक देवपने उत्पन्न हुए हैं, तब से ऐसा कहा जाता है कि असुरेन्द्र असुरकुमारराज चप्पर के त्रास्त्रिशक देव हैं ? (अर्थात् क्या इस से पहले त्रास्त्रिशक देव नहीं थे ?) श्यामहस्ती अनगार के इस प्रश्न को सुनकर गौतमस्वामी शंकित, कांक्षित और अत्यन्त संदिग्ध हुए। वे वहाँ से उठे और श्यामहस्ती अनगार के साथ श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पास आये । भगवान् को वन्दना नमस्कार करके गौतमस्वामी ने इस प्रकार पूछा ४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर के त्रास्त्रिशक देव हैं ? ४ उत्तर-हाँ, गौतम हैं। प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा किप्त कारण से कहते हैं कि चमर के त्रास्त्रिशक देव हैं, इत्यादि पूर्व कथित त्रास्त्रिशक देवों का सब सम्बन्ध कहना चाहिये, यावत् काकन्दी निवासी श्रमणोपासक त्रास्त्रिशक देवपने उत्पन्न हुए। तब से लेकर ऐसा कहा जाता है कि चमरेन्द्र के त्रास्त्रिशक देव हैं ? क्या इसके पहले वे नहीं थे ? उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर के त्रास्त्रिशक देवों के नाम शाश्वत कहे गये हैं। इसलिये वे कभी नहीं थे-ऐसा नहीं और नहीं रहेंगे-ऐसा भी नहीं। वे नित्य हैं, अव्युच्छित्तिनय (द्रव्याथिक नय) की अपेक्षा पहले वाले चवते हैं और दूसरे उत्पन्न होते हैं । उनका विच्छेद कभी नहीं होता। विवेचन-जो देव, मन्त्री और पुरोहित का कार्य करते हैं, वे 'त्रायस्त्रिशक' कहलाते हैं । काकन्दी नगरी में तेतीस श्रमणोपासक रहते थे। वे परस्पर एक दूसरे की सहायता करते थे। वे गृहपति अर्थात् कुटुम्ब के नायक थे । वे उग्र (उदार भाव वाले) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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