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________________ १५७४ भगवती सूत्र-श. ९ उ. २ जम्बूद्वीपादि में चन्द्रमा २ उत्तर-एवं जहा जीवाभिगमे जाव ताराओ। धायइसंडे, कालोदे, पुक्खरवरे, अम्भितरपुक्खरधे, मणुस्सखेत्ते-एएसु सट्वेसु जहा जीवाभिगमे, जाव-“एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीगं"। ३ प्रश्न-पुक्खरोदे णं भंते ! समुद्दे केवइया चंदा पभासिंसु वा ? . ३ उत्तर-एवं सब्वेसु दीव-समुद्देसु जोइसियाणं भाणियव्वं, जाव सयंभूरमणे, जाव सोभं सोभिंसु वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा। * सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति के ॥ णवमसए वीओ उद्देसो समत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-केवइया-कितने, पभासिसु-प्रकाश किया, सोमं-सोभा को, ससी-चन्द्रमा, पुक्खरोदे-पुष्करोद (पुष्कर समुद्र)।। भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नाम के द्वीप में कितने चन्द्रमाओं ने प्रकाश किया, प्रकाश करते है और प्रकाश करेंगे? १ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार जीवाभिगम सूत्र की तीसरी प्रतिपत्ति के दूसरे उद्देशक में कहा है, उसी प्रकार जानना चाहिये । यावत् 'एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोडाकोडी ताराओं के समूह शोभित हुए, शोभित होते हैं और शोभित होंगे-यहां तक जानना चाहिये। २ प्रश्न-हे भगवन् ! लवण समुद्र में कितने चन्द्रमाओं ने प्रकाश किया; Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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