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________________ भगवती मूत्र-स. ९ उ. ३२ देव प्रवेगनक १६७५ ४० उत्तर-गंगेया ! सव्वे वि ताव जोइसिएसु होजा, अहवा जोइसिय-भवणवासिसु य होज्जा, अहवा जोइसिय-वाणमंतरेसु य होजा, अहवा जोइसिय-वेमाणिएमु य होजा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासिसु य वाणमंतरेसु य होजा, अहवा जोइसिएमु य भवणवासिमु य वेमाणिएमु य होजा, अहवा जोइसिएसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होजा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासिसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होजा । ___४१ प्रश्न-एयस्स णं भंते ! भवणवासिदेवपवेसणगस्स, वाणमंतरदेवपवेसणगस्स, जोइसियदेवपवेसणगस्स, वेमाणियदेवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो-जाव विसेमाहिया वा ? ४१ उत्तर-गंगेया ! सव्वत्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए, भवणवासिदेवपवेसणए असंखेजगुणे, वाणमंतरदेवपवेसणए असंखेजगुणे, जोइंसियदेवपवेसणए संखेजगुणे । कठिन शब्दार्थ--कयरे कयरेहितो--कौन किससे । भावार्थ ३७ प्रश्न-हे भगवन् ! देव-प्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ? - ३७ उत्तर-हे गांगेय ! चार प्रकार का कहा गया है। यथा-भवनवासी देव-प्रवेशनक, वाणव्यन्तर देव-प्रवेशनक, ज्योतिषीदेव-प्रवेशनक और वैमानिक देव-प्रवेशनक । ३८ प्रश्न-हे भगवन् ! एक देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ क्या भवनवासी देवों में होता है, वाणव्यन्तर देवों में होता है, ज्योतिषी देवों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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