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________________ भगवती सूत्र - श. ९ उ. ३२ मनुष्य प्रवेशनक ३६ प्रश्न - एयस्स णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सप वेसणगस्स भवाकं तियमणुस्सप वेसणगस्स य कयरे - जाव विसेसांहिया वा ? ३६ उत्तर - गंगेया ! सव्वत्थोवे गन्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणए, संमुच्छिममणुस्सपवेसण असंखेज्जगुणे । ૧૨૯૨ कठिन शब्दार्थ - उस्सारितेसु बढ़ाते हुए । भावार्थ - ३० प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य-प्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ? ३० उत्तर - हे गांगेय ! दो प्रकार का कहा गया है। यथा1- सम्मूच्छिम मनुष्य-प्रवेशनक और गर्भज मनुष्य प्रवेशनक ३१ प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ एक मनुष्य क्या सम्मूच्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होता है, या गर्भज मनुष्यों में उत्पन्न होता है ? ३१ उत्तर - हे गांगेय ! वह सम्मूच्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होता है, अथवा गर्भज मनुष्यों में उत्पन्न होता है । ३२ प्रश्न - हे भगवन् ! दो मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या सम्मूच्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, इत्यादि प्रश्न । ३२ उत्तर - हे गांगेय ! दो मनुष्य सम्मूच्छिम मनुष्यों में होते हैं, अथवा गर्भज मनुष्यों में होते हैं । अथवा एक सम्मूच्छिम मनुष्यों में और एक गर्भज मनुष्यों में होते हैं। इस क्रम से जिस प्रकार नरयिक प्रवेशनक कहा, उसी प्रकार मनुष्य-प्रवेशनक भी कहना चाहिये । यावत् दस मनुष्यों तक कहना चाहिये । ३३ प्रश्न - हे भगवन् ! संख्यात मनुष्य, मनुष्यप्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए, इत्यादि प्रश्न । ३३ उत्तर - हे गांगेय ! वे सम्मूच्छिम मनुष्यों में होते हैं, अथवा गर्भज Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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