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________________ भगवती सूत्र-स. ९ . १२ मंख्यात नरयिक प्रदेशनक १६५५ हैं। उनके साथ सात नरकों के पूर्वोक्त पैतीस विकल्पों को गुणा करने से २९४० भंग होते हैं। दस नैरयिक जीवों के १-१-१-१-६ इत्यादि पत्रमयोगी एक विकल्प के १२६ भंग होते हैं, उनके द्वारा सात नरकों के पंचमंयोगी इक्कीस विकल्पों के साथ गुणा करने मे २६४६ भंग होते हैं। दस नैरयिक जीवों के १-१-१-१-१-५ इत्यादि षट्मयोगी एक विकल्प के १२६ भंग होते हैं। उनके द्वारा सात नरकों के पटसंयोगी सात विकल्पों के साथ गुणा करने से ८८२ भंग होते हैं। ___ दस नैरयिक जीवों के १-१-१-१-१-१-४ इत्यादि एक विकल्प के ८४ भंग होते हैं। उनके द्वारा सात नरकों के सप्तसंयोगी एक विकल्प को गुणा करने से ८४ भंग होते हैं । इस प्रकार सभी मिलकर दस नैरयिक जीवों के ८००८(७+१८९+१२६०+२९४०+२६४६+ ८८२+८४-८००८) भंग होते हैं। . संख्यात्त नैरयिक प्रवेशनक २१ प्रश्न-संखेजा भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा। २१ उत्तर-गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा, जाव अहेसत्तमाए वा होजा। अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होजा। अहवा दो रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा। एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयव्बो, जाव अहवा दस रयणप्पभाए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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