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________________ भगवती सूत्र-श. ७ उ. ६ आभोगनिवतितादि आयु ११५३ आभोगनिवर्तितादि आयु ६ प्रश्न-जीवा णं भंते ! किं आभोगणिव्वत्तियाउया, अणाभोगणिव्वत्तियाउया ? ६ उत्तर-गोयमा ! णो आभोगणिव्वत्तियाउया, अणाभोगणिवत्तियाउया । एवं णेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया। .. कठिन शब्दार्थ-आभोगनिव्वत्तियाउया-जानते हुए आयुष्य कर्म को बंधकर । भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव, आभोगनिर्वतित आयुष्य वाले हैं, या अनाभोग निर्वतित आयुष्य वाले हैं ? ६ उत्तर-हे गौतम ! जीव, आभोगनिर्वतित आयुष्य वाले नहीं, किन्तु अनाभोगनिर्वतित आयुष्य वाले हैं। इस प्रकार नरयिकों के विषय में भी जानना चाहिये, यावत् वैमानिकपर्यन्त इसी तरह जानना चाहिये । कर्कश अकर्कश वेदनीय ७ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! जीवाणं कक्सवेयणिजा कम्मा कति ? ७ उत्तर-(गोयमा !) हंता, अस्थि । ८ प्रश्न-कहं णं भंते ! जीवाणं ककसवेयणिज्जा कम्मा कति ? ८ उत्तर-गोयमा ! पाणाइवाएणं, जाव मिच्छादसणसल्लेणं; Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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