________________
भगवती सूत्र - श. ७ उ. ३ वेदना और निर्जरा
११ प्रश्न - हे भगवन् ! जिसको वेदते हैं, उसकी निर्जरा करते हैं ? और जिसकी निर्जरा करते हैं, उसको वेदते हैं ?..
११ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
११४२
प्रश्न - हे भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि जिसको वेदते हैं उसकी निर्जरा नहीं करते और जिसकी निर्जरा करते हैं, उसको वेदते. नहीं ?
उत्तर - हे गौतम! कर्म को वेदते हैं और नोकर्म को निर्जीर्ण करते हैं । इसलिये ऐसा कहता हूँ कि यावत् जिसको निर्जीणं करते हैं, उसको वेदते नहीं । इसी तरह नरयिकों के विषय में जानना चाहिये । यावत् वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डक में इसी तरह जान लेना चाहिये ।
१२ प्रश्न - हे भगवन् ! जिसको वेदेंगे, उसको निर्जरेंगे और जिसको निर्जरेंगे उसको वेदेंगे ?
वेदेंगे ?
१२ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
प्रश्न - हे भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि यावत् उसको नहीं
1
उत्तर - हे गौतम! कर्म को वेदेंगे और नोकर्म को निर्जरेंगे। इस कारण यावत् जिसको वेदेंगें उसको नहीं निर्जरेंगे ।
१३ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या जो बेदना का समय हैं, वह निर्जरा का समय है और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय है ?
१३ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कारण है कि जो वेदना का समय है वह निर्जरा का समय नहीं और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय नहीं ?
उत्तर - हे गौतम ! जिस समय वेदते हैं, उस समय निर्जरते नहीं हैं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org