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________________ भगवती सूत्र-श. ७ उ. ३ वदना आर निजरा ११३९ .ooooo कहलाती ? उत्तर-हे गौतम ! नरयिक जीवों के जो वेदना है, वह कर्म है और जो निर्जरा है, वह नोकर्म है। इसलिये हे गौतम ! में ऐसा कहता हूँ कि यावत् जो निर्जरा है, वह वेदना नहीं कहलाती। इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त चौबीस हो दण्डकों में कहना चाहिये । १० प्रश्न-से गुणं भंते ! जं वेद॑सु तं णिजरिंसु, जं णिजरिंसु तं वेद॑सु ? १० उत्तर-णो इणटे समटे । प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जं वेद॑सु णो तं णिजरेंसु, जं णिजरेंसु णो तं वेदेंसु ? उत्तर-गोयमा ! कम्मं देदेंमु, णोकम्मं णिजरिंसु, से तेणटेणं गोयमा ! जाव णो तं वेदें । प्रश्न-णेरड्याणं भंते ! जं वेदेंसु तं णिजरेंसु ? उत्तर-एवं णेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया। ११ प्रश्न-से णूणं भंते ! जं वेदेति तं णिजरेंति, ज गिजरेंति तं वेदेति ? ११ उत्तर-गोयमा ! णो इगट्टे समटे । प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जाव णो तं वेदेति ? उत्तर-गोयमा ! कम्मं वेदेति, णोकम्मं णिजरेंति, से तेणटेणं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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