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भगवती सूत्र-श. ७ उ. ३ कृष्णादि लेश्या और अल्पाधिक कर्म
अल्पकर्म वाला होता है और नीललेश्या वाला नैरयिक, कदाचित् महाकर्म वाला होता है ?
६ उत्तर-हाँ, गौतम ! होता है।
प्रश्न-हे भगवन् ! इसका क्या कारण है ? जिससे ऐसा कहा जाता है कि कृष्णलेश्या वाला नरयिक, कदाचित अल्पकर्म वाला होता है और नील. लेश्या वाला नरयिक कदाचित् महाकर्म वाला होता है ?
उत्तर-हे गौतम ! स्थिति की अपेक्षा से ऐसा कहा जाता है कि यावत् महाकर्म वाला होता है।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या नीललेश्या वाला नरयिक कदाचित् अल्पकर्म वाला होता है और कापोतलेश्या वाला नैरयिक, कदाचित् महाकर्म वाला
होता है ?
७ उत्तर-हां, गौतम ! कदाचित् होता है।
प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा किस कारण कहते हैं कि नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित् अल्पकर्म वाला होता है और कापोतलेश्या वाला नैरयिक कदाचित् महाकर्मः वाला होता है ?
उत्तर-हे गौतम ! स्थिति की अपेक्षा ऐसा कहता हूँ कि यावत् वह महाकर्म वाला होता है। इसी प्रकार असुरकुमारों के विषय में भी कहना चाहिये, परन्तु उनमें एक तेजोलेश्या अधिक होती है अर्थात् उनमें कृष्ण, नील, कापोत और तेजो, ये चार लेश्याएं होती है इसी तरह वैमानिक देवों पर्यन्त कहना चाहिये । जिसमें जितनी लेश्या हों उतनी कहनी चाहिये, किन्तु ज्योतिषी दण्डक का कथन नहीं करना चाहिये।
प्रश्न-यावत् हे भगवन् ! क्या पद्मलेश्या वाला वैमानिक, कदाचित् अल्पकर्म वाला होता है और शुक्ललेश्या वाला वैमानिक कदाचित् महाकर्म वाला होता है ?
उत्तर--हां, गौतम ! कदाचित् होता है।
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