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________________ भगवती सूत्र-श. ७ उ. २ क्या जीव शाश्वत है ? .. ११२९ २४ प्रश्न-णेरड्या णं भंते ! किं सासया, असासया ? : २४ उत्तर-एवं जहा जीवा तहा णेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया जाव सिय सासया, सिय असासया । • सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ® ॥ सत्तमसए बिईओ उद्देसो समत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-सासया-शाश्वत (नित्य) दम्वद्वयाए-द्रव्य की अपेक्षा से, मापट्टयाए-भाव की अपेक्षा से । भावार्थ-२३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव शाश्वत है या अशाश्वत है ? २३ उत्तर-हे गौतम ! जीव कथञ्चित् शाश्वत और कञ्चित् अशाश्वत है। . प्रश्न-हे भगवन् ! इसका क्या कारण है कि जीव कञ्चित् शाश्वत है और कञ्चित् अशाश्वत है ? ... उत्तर-हे गौतम | द्रव्य की अपेक्षा जीव शाश्वत है और भाव की अपेक्षा जीव अशाश्वत है । इस कारण ऐसा कहता हूं कि जीव कथञ्चित् अशाश्वत २४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या नरयिक जीव शाश्वत हैं, या अशाश्वत हैं? - २४ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार जीवों का कथन किया गया है, उसी प्रकार नरयिकों का भी करना चाहिये । इसी तरह वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डक का कथन करना चाहिये कि जीव कथञ्चित् शाश्वत है और कथञ्चित् अशाश्वत है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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