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भगवती सूत्र-श. ७ उ. २ क्या जीव शाश्वत है ? ..
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२४ प्रश्न-णेरड्या णं भंते ! किं सासया, असासया ? :
२४ उत्तर-एवं जहा जीवा तहा णेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया जाव सिय सासया, सिय असासया ।
• सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ®
॥ सत्तमसए बिईओ उद्देसो समत्तो ॥
कठिन शब्दार्थ-सासया-शाश्वत (नित्य) दम्वद्वयाए-द्रव्य की अपेक्षा से, मापट्टयाए-भाव की अपेक्षा से ।
भावार्थ-२३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव शाश्वत है या अशाश्वत है ?
२३ उत्तर-हे गौतम ! जीव कथञ्चित् शाश्वत और कञ्चित् अशाश्वत है। .
प्रश्न-हे भगवन् ! इसका क्या कारण है कि जीव कञ्चित् शाश्वत है और कञ्चित् अशाश्वत है ? ... उत्तर-हे गौतम | द्रव्य की अपेक्षा जीव शाश्वत है और भाव की अपेक्षा जीव अशाश्वत है । इस कारण ऐसा कहता हूं कि जीव कथञ्चित् अशाश्वत
२४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या नरयिक जीव शाश्वत हैं, या अशाश्वत हैं? - २४ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार जीवों का कथन किया गया है, उसी प्रकार नरयिकों का भी करना चाहिये । इसी तरह वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डक का कथन करना चाहिये कि जीव कथञ्चित् शाश्वत है और कथञ्चित् अशाश्वत है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है ।
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