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________________ भगवती' सूत्र - श. ७ उ. २ प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी १५ प्रश्न - शेरइयाणं - पुच्छा ! : १५ उत्तर-गोयमा ! णेरइया णो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, णो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी । एवं जाव चउरिंदिया | १६ प्रश्न - पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं - पुच्छा । १६ उत्तर - गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णो सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणी, देसमूलगुणपञ्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि । मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतर - जोइस चेमाणिया जहा रहया । ११२३ १७ प्रश्न - एएसि णं भंते ! जीवाणं सव्वमूलगुणपच्चवखाणीणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणीणं, अपचक्खाणीण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? १७ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपञ्चवखाणी अनंतगुणा । एवं अप्पा बहुगाणि तिणि वि जहा पढमिल्लए दंडए, णवरं सव्वत्थोवा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेजगुणा । कठिन शब्दार्थ- पढ मिल्लए- पहले में, अप्पाबहुगाणि - अल्पबहुत्व । भावार्थ - १४ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या जीव सर्व मूलगुण- प्रत्याख्यानी हैं, देश मूलगुणप्रत्याख्यानी हैं, या अप्रत्याख्यानी हैं ? Jain Education International १४ उत्तर - हे गौतम! जीव सर्वमूलगुणप्रत्याख्यानी भी हैं, देशमूलगुणप्रत्याख्यानी भी हैं और अप्रत्याख्यानी भी हैं । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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