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भगवती सूत्र - श. ७ उ. २ सुप्रत्याख्यान दुष्प्रत्याख्यान
पुच्छा ।
१३ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपच्चर खाणी, उत्तरगुणपञ्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपचक्खाणी असंखेज्जगुणा ।
११ प्रश्न - हे भगवन् ! मूलगुणप्रत्याख्यानी, उत्तरगुणप्रत्याख्यानी और अप्रत्याख्यानी जीवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? ११ उत्तर - हे गौतम! मूल-गुण- प्रत्याख्यानी जीव सब से थोड़े हैं, उत्तर- गुण- प्रत्याख्यानी जीव उनसे असंख्यगुणे हैं और अप्रत्याख्यानी जीव, उनसे भी अनन्तगुणे हैं ।
१२ प्रश्न - हे भगवन् ! इन मूलगुण- प्रत्याख्यानी आदि जीवों में पंचेंद्रियतिर्यंच जीव कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
१२ उत्तर - हे गौतम! मूल-गुण- प्रत्याख्यानी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च जीव सबसे थोडे है, उनसे उत्तरगुण- प्रत्याख्यानी असंख्यगुणे हैं और अप्रत्याख्यानी उनसे असंख्यगुणे हैं ।
कौन
१३ प्रश्न - हे भगवन् ! इन मूलगुण- प्रत्याख्यानी आदि में मनुष्य किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
१३ उत्तर - हे गौतम! मूल-गुण- प्रत्याख्यानी मनुष्य सबसे थोडे हैं, उत्तर-गुण- प्रत्याख्यानी मनुष्य उनसे संख्यातगुणे हैं और अप्रत्याख्यानी मनुष्य उनसे असंख्यातगुणे हैं ।
१४ प्रश्न - जीवा णं भंते! किं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपञ्चक्खाणी ? .
१४ उत्तर - गोयमा ! जीवा सव्वमूलगुण पच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपचक्खाणी वि ।
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