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भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० कर्मों का पारस्परिक सम्बन्ध
४१ प्रश्न-जस्स णं भंते ! आउयं तस्स अंतराइयं-पुच्छा।
४१ उत्तर-गोयमा ! जस्स आउयं तस्स अंतराइयं सिय. अत्थि, सिय पत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स आउयं णियमं अत्थि ।
- भावार्थ-४१ प्रश्न-हे भगवन् ! जिसके आयुष्य कर्म होता है, उसके अन्तराय कर्म होता है इत्यादि प्रश्न ?
४१ उत्तर-हे गौतम ! जिसके आयुष्य कर्म होता है, उसके अन्तराय कर्म कदाचित् होता है और कदाचित् नहीं भी होता, परन्तु जिसके अन्तराय कर्म होता है, उसके आयुष्य कर्म अवश्य होता है।
४२ प्रश्न-जस्स णं भंते ! णामं तस्स गोयं, जस्स णं गोयं तस्स णं णाम-पुच्छा। - ४२ उत्तर-गोयमा ! जस्स णं णामं तस्स णियमा गोय, जस्स णं गोयं तस्स णियमा णाम; दो वि एए परोप्परं णियमा अस्थि ।
. भावार्थ-४२ प्रश्न-हे भगवन् ! जिसके नाम कर्म होता है, उसके गोत्र कर्म होता है और जिसके गोत्र कर्म होता है, उसके नाम कर्म भी होता है ?
४२ उत्तर-हे गौतम ! जिसके नामकर्म होता है, उसके गोत्र-कर्म अवश्य होता है और जिसके गौत्र कर्म होता है, उसके नामकर्म भी अवश्य होता है। ये दोनों कर्म परस्पर नियम से होते हैं।
४३ प्रश्न-जस्स णं भंते ! णामं तस्स अंतराइयं-पुच्छा ? ४३ उत्तर-गोयमा ! जस्स णामं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि,
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