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भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० पुद्गल का वादि परिणाम
इन तीनों की आराधना में उत्कृष्ट प्रयत्न करना- 'उत्कृष्ट आराधना' है, मध्यम प्रयल करना मध्यम आराधना है और अल्प प्रयत्न करना जघन्य आगधना है ।
उत्कृष्ट ज्ञान आराधना में, उत्कृष्ट और मध्यम दर्शन आराधना पाई जाती है । उत्कृष्ट दर्शन आराधना में, उत्कृष्ट, मध्यम ओर जघन्य जान आराधना पाई जाती है। उत्कृष्ट ज्ञान आराधना में उत्कृष्ट और मध्यम चारित्र आराधना पाई जाती है । उत्कृष्ट चारित्र आराधना में तीनों प्रकार की ज्ञान आराधना पाई जाती है। उत्कृष्ट दर्शन आराधना में तीनों प्रकार की चारित्र आराधना पाई जाती है । उत्कृष्ट चारित्र आराधना में नियमा उत्कृष्ट दर्शन आराधना पाई जाती है।
उत्कृष्ट जान आराधना, उत्कृष्ट दर्शन आराधना और उत्कृष्ट चारित्र आराधना वाला जीव, जघन्य उसी भव में मोक्ष जाता है, उत्कृष्ट दो भव (बीच में एक देव भव करके दूसरे मनुष्य भव) में मोक्ष जाता है मध्यम ज्ञान आराधना, मध्यम दर्शन आराधना और मध्यम चारित्र आराधना वाला जीव, जघन्य दो भव से मोक्ष जाता है और उत्कृष्ट तीन भव से (बीच में दो भव देवों के करके ) मोक्ष जाता है। जघन्य ज्ञान आराधना, जघन्य दर्शन आराधना और जघन्य चारित्र आराधना वाला जीव, जघन्य तीन भव से मोक्ष जाता है और उत्कृष्ट मात-आठ भव में मोक्ष जाता है। ये सात भव देव सम्बन्धी और आठ भव चारित्र सम्बन्धी, मनुष्य के समझने चाहिये ।
पुद्गल का वर्णादि परिणाम
... १४ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरिणामे पण्णते ?
१४ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहावण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे, फासपरिणामे, संठाणपरिणामे ।
१५ प्रश्न-वण्णपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?
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