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भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० श्रुत और शील के आराधक
तो प्रवृत्ति रहित होता है।
कुछ अन्यतीथिक इस प्रकार कहते हैं कि-ज्ञान ही श्रेष्ठ है. मात्र ज्ञान से ही फल की सिद्धि होती है । ज्ञान रहित क्रियावान् को फल की सिद्धि नहीं होती । इस प्रकार वे श्रुत (मान) को ही श्रेष्ठ मानते हैं ।
कितने ही अन्य-तीथिक परस्पर निरपेक्ष श्रुत और शील से अभीष्ट अर्थ की सिद्धि मानते हैं। इसलिये वे क्रिया रहित ज्ञान अथवा ज्ञान रहित क्रिया से अभीष्ट सिद्धि मानते हैं । श्रुत और शील, प्रत्येक पुरुष की पवित्रता का कारण है । इसलिये वे कहते हैं किशील श्रेष्ठ है, मथवा-श्रुत श्रेष्ठ है । इस प्रकार भिन्न-भिन्न रूप से प्ररूपणा करते हैं।
श्रमण भगवान महावीर स्वामी, गौतम स्वामी से इस प्रकार कहते हैं कि-मेरा एवं समी सर्वज्ञों का सिद्धान्त इस प्रकार है-(१) कोई पुरुष शील सम्पन्न है, परन्तु श्रुत सम्पन्न नहीं (२) कोई पुरुष श्रुत सम्पन्न है, परन्तु शील सम्पन्न नहीं। (३) कोई शील सम्पन्न भी है और श्रुत सम्पन्न भी है । (४) कोई शील सम्पन्न भी नहीं और श्रुत सम्पन्न भी नहीं।
इन में से प्रथम भंग का स्वामी जो शील सम्पन्न है, परन्तु श्रुत सम्पन्न नहीं है, वह 'उपरत' है । वह तत्त्वों का विशेष ज्ञाता नहीं होते हुए भी स्व बुद्धि से ही पापों से निवृत्त है । गीतार्थ मुनि की नेथाय में तप करने वाला वह अगीतार्थ पुरुष 'देशाराधक' है । अर्थात् देशतः-अंशतः मोक्ष-मार्ग की आराधना करने वाला है। यहां मूलपाठ में 'अविण्णायधम्मे' पद दिया है। जिसका अर्थ है-'न विशेषण ज्ञातः धर्मो येन स अविज्ञातधर्मा' अर्थात् जिसने विशेष रूप से धर्म को नहीं जाना, वह पुरुष 'अविज्ञातधर्मा' कहलाता है । तात्पर्य यह है कि प्रथम भंग का स्वामी देशआराधक पुरुष वह है, जो चारित्र की आराधना करता है, परन्तु विशेषरूप से ज्ञानवान नहीं है । ( उससे ज्ञान की आराधना नहीं होती) इस भंग का स्वामी मिथ्या-दृष्टि नहीं. किन्तु सम्यग्दृष्टि हैं।
___ दूसरे भंग का स्वामी जो शील सम्पन्न नहीं. परन्तु श्रुत सम्पन्न है, वह अनुपरत (पापादि से अनिवृत्त) है, फिर भी वह धर्म को जानता है। इसलिए वह देश विराधक कहा गया है । इस भंग का स्वामी अविरत सम्यग्दृष्टि ' हैं। यह ज्ञान, दर्शन, चारित्र रूप रत्नत्रय-जो मोक्षमार्ग है, उसमें से तृतीय भाग रूप चारित्र की विराधना करता है अर्थात् प्राप्त हुए चारित्र का पालन नहीं करता, अथवा चारित्र को प्राप्त ही नहीं करता । इसलिये वह देशविराधक है।
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