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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ तेजस् शरीर प्रयोग बंध
गया है । यया-१ अनादि-अपर्यवसित और २ अनादि-सपर्यवसित ।
७२ प्रश्न-हे भगवन् ! तेजस्शरीर प्रयोग-बन्ध का अन्तर कितने काल का है ?
७२ उत्तर-हे गौतम ! अनादि-अपर्यवसित और अनादि-सपर्यवसित, इन दोनों प्रकार के तेजसशरीर प्रयोग-बन्ध का अन्तर नहीं है।
७३ प्रश्न-हे भगवन् ! तेजसशरीर के देशबंधक और अबंधक जीवों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
७३ उत्तर-हे गौतम ! तेजस् शरीर के अबंधक जीव सबसे थोडे है। उनसे देश-बंधक जीव अनन्त गुण हैं।
विवेचन-तेजस्शरीर अनादि है, इसलिये इमका सर्व-बन्ध नहीं होता । अभव्य जीवों के यह तेजस्-शरीर बन्ध अनादिअपर्यवसित है और भव्य जीवों के अनादि-सपयंवसित है । तेजस्शरीर समस्त संसारी जीवों के सदा रहता है, इसलिये इमका अन्तर नहीं है।
- अल्पयन्व - तेजस्-शरीर के अबंधक मबसे थोड़ हैं, क्योंकि सिद्ध जीव और १४ वें गुणस्थान वाले जीव ही तेजस्-शरीर के अवंधक हैं। उनसे देशबन्धक अनन्त गुण हैं । क्योंकि तेजस्-शरीर समस्त संसारी जीवों के होता है और संसारी जीव मिद्धों से अनन्तगुण हैं ।
कार्मण-शरीर प्रयोग बन्ध
७४ प्रश्न-कम्मासरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कइविहे पण्णते ?
७४ उत्तर-गोयमा ! अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा-णाणावरणिजकम्मासरीरप्पओगबंधे, जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पओगबंधे ।
७५ प्रश्न-णाणावरणिजकम्मासरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं?
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