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भगवती सूत्र - श. ८ उ. ९ शरीर बंध
कम क्षुल्लकभत्र पर्यंत है और उत्कृष्ट एक समय अधिक बाईस हजार वर्ष है । देश बंध का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त तक है ।
३६ प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक एकेंद्रिय औदारिक- शरीर बंध का अन्तर कितने काल का है ?
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३६ उत्तर - हे गौतम! इनके सर्वबंध का अन्तर जिस प्रकार एकेंद्रिय में कहा गया है, उसी प्रकार कहना चाहिये । देश बंध का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट तीन समय का है। जिस प्रकार पृथ्वीकायिक जीवों का कहा गया, उसी प्रकार वायुकायिक जीवों को छोड़कर चतुरिन्द्रिय तक सभी जीवों के विषय में कहना चाहिये । परन्तु उत्कृष्ट सर्व-बंध का अन्तर जिन जीवों की जितनी आयष्य स्थिति हो उससे एक समय अधिक कहनी चाहिए अर्थात् सर्व बंध का अन्तर समयाधिक आयुष्य स्थिति प्रमाण जानना चाहिए । वायुकाय जीवों के सर्व-बंध का अन्तर जघन्य तीन समय कम क्षुल्लकभव ग्रहण और उत्कृष्ट समयाधिक तीन हजार वर्ष का है । इनके देश बन्ध का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त तक जानना चाहिए ।
३७ प्रश्न - हे भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च औदारिक शरीर बन्ध का अन्तर कितने काल का कहा गया है ?
३७ उत्तर - हे गौतम ! उनके सर्व-बन्ध का अन्तर जघन्य तीन समय कम क्षुल्लक- भव-ग्रहण और उत्कृष्ट समयाधिक पूर्व कोटि है । देश बन्ध का अन्तर जिस प्रकार एकेन्द्रिय में कहा, उसी प्रकार सभी पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चों में जानना चाहिए। इसी प्रकार मनुष्यों में भी समझना चाहिए यावत् 'उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है' - यहां तक कहना चाहिए ।
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३८ प्रश्न - जीवस्स णं भंते! एगिंदियत्ते, णोएगिंदियत्ते, पुणरवि एगिंदियत्ते एगिंदिय ओरालिय सरीरप्पओगबंधंतरं कालओ
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