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________________ १४८६ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ शरीर बंध २५ उत्तर-हे गौतम ! सवीर्यता, सयोगता और सद्व्यता से, प्रमाद, कर्म, योग, भाव और आयुष्य आदि हेतुओं के और औदारिक-शरीर-प्रयोग. बंध नामकर्म के उदय से औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध होता है। . __२६ प्रश्न-हे भगवन् ! एकेंद्रिय औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है ? . २६ उत्तर-हे गौतम ! पहले कहे अनुसार जानना चाहिये । इस प्रकार यह पृथ्वीकायिक एकेंद्रिय औदारिकशरीरप्रयोगबंध है। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक एकेंद्रिय औदारिकशरीरप्रयोगबंध तथा बेइंद्रिय, तेइंद्रिय और चौइंद्रिय औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध तक जानना चाहिये। २७ प्रश्न-हे भगवन् ! तिथंच पंचेन्द्रिय औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है। . २७ उत्तर-हे गौतम ! पूर्व कथानुसार जानना चाहिये । २८ प्रश्न-हे भगवन् ! मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर-प्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? २८ उत्तर-हे गौतम ! सवीर्यता, सयोगता और सद्व्यता से तथा प्रमाद हेतु से यावत् आयुष्य आश्रित तथा मनुष्य पञ्चेंद्रिय औदारिकशरीरप्रयोग नाम कर्म के उदय से, 'मनुष्य पञ्चेंद्रिय औदारिकशरीरप्रयोग-बंध होता है। २९ प्रश्न-ओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे, सव्वबंधे ? २९ उत्तर-गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि।। ३० प्रश्न-एगिदियओरालियसरीरप्पओगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे, सब्वबंधे ? ___ ३० उत्तर-एवं चेव, एवं पुढविकाइया, एवं जाव (प्रश्न)मणुस्स. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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