SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 421
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४८४ . भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ शरीर बंध पजत्तागम्भवक्कंतियमणुस्सपंचिंदिय-ओरालिय-सरीरप्पओगबंधे य, अप्पजत्तागम्भवक्कंतियमणुस्स जाव-बंधे य । कठिन शब्दार्थ-अभिलावेणं-अभिलाप (पाठ) से। भावार्थ-२२ प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर-प्रयोग बंध कितने प्रकार का कहा गया है ? २२ उत्तर-हे गौतम ! शरीर-प्रयोग बंध पाँच प्रकार का कहा गया है। यथा-१ औदारिक शरीर प्रयोग बंध, २ वैक्रिय शरीर प्रयोग बंध, ३ आहारक शरीर प्रयोग बंध, ४ तेजस शरीर प्रयोग बंध और ५ कार्मण शरीर प्रयोग बंध। २३ प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक शरीर प्रयोग बंध कितने प्रकार का कहा गया है ? २३ उत्तर-हे गौतम ! औदारिक शरीर प्रयोग बंध पांच प्रकार का कहा गया है । यथा-एकेंद्रिय औदारिक शरीर प्रयोग बंध, बेइन्द्रिय औदारिक शरीर प्रयोग बन्ध यावत् पञ्चेन्द्रिय औदारिक शरीर प्रयोग बन्ध । ____२४ प्रश्न-हे भगवन् ! एकेंद्रिय औदारिक शरीर प्रयोग बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? __ २४ उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक-शरीर प्रयोग-बंध इत्यादि । इस प्रकार इस अभि. लाप द्वारा जिस प्रकार प्रज्ञापना सूत्र के इक्कीसवें 'अवगाहना संस्थान पद' में औदारिक शरीर के भेद कहे गये हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिये । यावत पर्याप्त गर्भज मनुष्य पञ्चेन्द्रिय औदारिक शरीर प्रयोग-बंध और अपर्याप्त गर्भज-मनुष्य पञ्चेंद्रिय औदारिक शरीर-प्रयोग-बंध तक कहना चाहिये। २५ प्रश्न-ओरालियसरीरप्पओगवन्धे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy