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भगवती सूत्र- श. ८ उ. ९ प्रयोग और विस्रसा बन्ध
अणाईयवीससाबंधे य।
३ प्रश्न-अणाईयवीससाबंधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?
३ उत्तर-गोयमा! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-धम्मस्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससावंधे, अधम्मस्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससाबंधे, आगासस्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससाबंधे।
४ प्रश्न-धम्मत्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससाबन्धे णं भंते ! किं देसबन्धे, सव्ववन्धे ?
४ उत्तर-गोयमा ! देसवन्धे, णो सव्वबन्धे । एवं अधम्मत्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससावन्धे वि, एवं आगासत्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससाबन्धे वि।
५ प्रश्न-धम्मस्थिकायअण्णमण्णअणाईयवीससावंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? .
५ उत्तर-गोयमा ! सव्वधं । एवं अधम्मस्थिकाए, एवं आगासत्थिकाए वि।
कठिन शब्दार्थ-पओगबंधे-जीव के प्रयोग से होने वाला बन्ध, वीससाबंधे-स्वभाव से होने वाला बन्ध, साईयवीससाबंधे-जिसकी आदि हो ऐसा स्वाभाविक बन्ध, सम्वद्धंसर्व काल ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ?
१ उत्तर-हे गौतम ! बन्ध दो प्रकार का कहा गया है। यथा-प्रयोग बन्ध और विलसा बन्ध ।
२ प्रश्न-हे भगवन् ! विनसा बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ?
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