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________________ १४६४ भगवती सूत्र श. ८ उ. ८ सूर्य और उसका प्रकाश ३८ उत्तर - हे गौतम! लेश्या ( तेज) के प्रतिघात से सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं । मध्यान्ह में तेज के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और अस्त के समय तेज के प्रतिघात से दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं । इसलिये हे गौतम ! मैं कहता हूं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते है, यावत् अस्त के समय दूर होते भी निकट दिखाई देते हैं । ३९ प्रश्न - जंबुद्दोवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छेति, पडुप्पण्णं खेतं गच्छति, अणागयं खेतं गच्छति ? ३९ उत्तर - गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुप्पण्णं खेत्तं गच्छति, णो अणागयं खेत्तं गच्छति । ४० प्रश्न - जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुप्पण्णं खेतं ओभासंति, अणागयं खेत्तं ओभासंति ? ४० उत्तर - गोयमा ! णो तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुप्पण्णं खेत्तं ओभासंति, णो अणागयं खेत्तं ओभासंति । कठिन शब्दार्थ-तीयं - अतीत ( बीता हुआ), पडुप्पण्णं - प्रत्युत्पन्न ( वर्त्तमान), अणायं - अनागत ( भविष्य ), ओभासंति - प्रकाशित करता है । भावार्थ - ३९ प्रश्न हे भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं, या अनागत क्षेत्र की ओर जाते हैं ? ३९ उत्तर - हे गौतम ! अतीत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, अनागत क्षेत्र की ओर भी नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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