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भगवती सूत्र--श. ८ उ. ८ सूर्य और उसका प्रकाश
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य मूले य दीसंति. लेस्साभितावेणं मज्झतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसंति, लेम्मापडिघाएणं अस्थमणमुहत्तंसि दूर य मूले य दीसंति; से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति; जाव अस्थमण जाव दीसंति ।
कठिन शब्दार्थ- सूरिया- सूर्य, उग्गमणमहत्तंसि- उदय होने के समय, मज्झतियमहत्तंसि--मध्यान्ह के समय, मूले--निकट, दीसंति-दिखाई देता है, अस्थमणमुहुतंसि-अस्त होत समय, सव्वत्य--सर्वत्र, समाउच्चत्तेणं--समान ऊंचाई पर है, लेस्सापडिघाएणं--तेज के प्रतिघात से, लेस्साभितावेणं-तेज के अभिताप से ।
. भावार्थ-३६ प्रश्न-हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ? मध्यान्ह के समय निकट होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं ? और अस्त होने के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ? . ३६ उत्तर-हां, गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि । यावत् अस्त समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ।
.३७ प्रश्न-हे भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय, मध्यान्ह के समय और अस्त के समय सभी स्थानों पर ऊंचाई में बराबर हैं ?
३७ उत्तर-हां गौतम ! जम्बूद्वीप में रहे हुए दो सूर्य, उदय के समय यावत् सभी स्थानों पर ऊंचाई में बरावर हैं ।
- ३८ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय मध्यान्ह के समय और अस्त के समय, सभी स्थानों पर ऊंचाई में बराबर है, तो ऐसा किस कारण कहते हैं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, यावत् अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ?
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