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________________ ૨૪:૪ भगवती सूत्र श. उ. ८ कर्म प्रकृति और परीषह् समवतार होता है ? २७ उत्तर - हे गौतम ! इसमें एक दर्शन परीषह का समवतार होता है । २८ प्रश्न - हे भगवन् ! चारित्र मोहनीय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ? २८ उत्तर - हे गौतम ! उसमें सात परीषहों का समवतार होता है । यथा-अरति परीषह, अवेल परीषह, स्त्री परीषह, निषदचा परीषह, याचना परीषह, आक्रोश परीषह और सत्कार पुरस्कार परीषह । इन सात परीषहों का समवतार चारित्र मोहनीय कर्म में होता है । २९ प्रश्न - हे भगवन् ! अन्तराय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ? २९ उत्तर - हे गौतम! एक अलाभ परीषह का समवतार होता है । ३० प्रश्न - सत्तविहबन्धगस्स णं भंते ! कइ परीसहा पण्णत्ता ? ३० उत्तर - गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेएइ । जं समयं सीयपरीसहं वेएइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेएड, जं समयं उसिणपरीसहं वेएड णो तं समयं सीयपरीसहं वेएड, जं समयं चरियापरीसहं वेएइ णो तं समयं णिसीहियापरीसहं वेएइ, जं समयं णिसीहिया परीसहं वेण्ड णो तं समयं चरियापरीसहं वेएइ । ३१ प्रश्न - अट्ठविहबन्धगस्स णं भंते ! कइ परीसहा पण्णत्ता ? ३१ उत्तर - गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता, तं जहाछुहापरीसहे, पिवासापरीसहे, सीयपरीसहे, दंस-मसग परीसहे, जाव अलाभपरीसहे । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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