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भगवती सूत्र
. ४ ऊ ५ श्रावक खन के मंस
मणसा वयसा; ३३ अहवा ण करेइ मणसा कायमा ३४ अहवा ण करेइ वयमा कायसा; ३५ अहवा ण कारवैइ मणसा वयसा; ३६ अहवाण कारवेइ मणमा- कायसाः ३७ अहवाण, कारखे घसा कायसा; ३८ अहवा करेंत णाणुजाणइ. मणमा वयसा; ३९ अहवा करतं णाणूजाणइ मुणसा कायसा; ४१. अहवा. करत समुजामा क्या कापसासगविहं रामविहेणं -पडिबक्रममाणे ४१ ण करई मणसी, ४२ अहवाण करई वयसो ४३. अहवाण FFFEER-
T HESfErs in arry TREETER. करेइ कायमाः ४४ अहवाण काखेड मणमा १५ अहवा, ण कारबेह वयसा ४६ अहंबा कारखे कायसा अहवा करेंत जाणूजाणई मणमा ४८ अहवीं करत जिणि वयमा ४९ अहवा करत भाजाणाद कायसा AfSTREAT FIFkya tha FTEYENEF
मारता-
प्रति थलए-स्थल (माटपाणाडा
. .कठिन शब्दार्थ पटवामेव
ETHERHILE (हिसा), अपच्चक्खाए-प्रत्याख्यान (त्याग) नहीं है, तोयं-अतीत (भतकालीन), पडिक्क
NEEDSEXRESTETRETREETETTERY मइ-प्रतिक्रमण करता है, पापण्ण-प्रत्युत्पन्न (वर्तमान-कालीन), अणागये-अनागत (भविष्य
कालीम), अणुजाणा-अनुमोदन करता है, तिविह"तिविहंग-तीने करण तीन योग से।
प्रश्न-हे भगवन् ! जिस श्रमणोपासक ने पहले स्थल प्राणा
तिपात
का
नहीं किया, वह पछि उसका प्रत्याख्यान करता हआ क्या करता है? RT (finire TOTE E ntri garaat ; उत्तर है गौतम ! वह अतीतकाल में किये हुए प्राणातिपात का प्रतिक्रमण करता है अर्थात् उस पाप की निन्दा करके उससे निवृत्त होता है। प्रत्युत्पन्न अथात् वर्तमानकालीन प्राणातिपति की सवर (निरोध करता है । अनागत (भविष्यत्कालीन) प्राणातिपात का प्रत्यास्यान करती है अर्थात् उसे न करने
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