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भगवती सूत्र - श.
उ. २ ज्ञान अज्ञान के पर्याय
पज्जवाणं, विभंगगाणपज्जवाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसा
हिया वा ?
११७ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपजवणाणपजवा, विभंगणाणपज्जवा अनंतगुणा, ओहिणाणपज्जवा अनंतगुणा, सुयअण्णाणपजवाअनंतगुणा, सुयणाणपज्जवा विसेसाहिया, मइअण्णाण - पजवा अनंतगुणा, आभिणिवोहियणाणपज्जवा विसेसाहिया, केवलणाणपजवा अनंतगुणा ।
१३६१
• सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति
॥
अटुमसए बीओ उसो समत्तो ॥
भावार्थ - १५ प्रश्न - हे भगवन् ! पूर्व कथित आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान के पर्यायों में किसके पर्याय किससे अल्प, बहुत, तुल्य, या विशेषाधिक हैं ?
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११५ उत्तर - हे गौतम! मन:पर्ययज्ञान के पर्याय सब से थोडे हैं, उनसे अवधिज्ञान के पर्याय अनन्त गुणा हैं। उनसे श्रुतज्ञान के पर्याय अनन्त गुण हैं। उनसे आभिनिबोधिक ज्ञान के पर्याय अनन्त गुण हैं। उनसे केवलज्ञान के पर्याय अनन्त गुण हैं ।
११६ प्रश्न- न-हे भगवन् ! मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान और विभंगज्ञान के पर्यायों में किसके पर्याय, किसके पर्यायों से यावत् विशेषाधिक हैं ?
११६ उत्तर - हे गौतम ! सबसे थोडे विभंगज्ञान के पर्याय हैं। उनसे श्रुतअज्ञान के पर्याय अनन्त गुण हैं। उनसे मतिअज्ञान के पर्याय अनन्त गुण हैं । ११७ प्रश्न- न हे भगवन् ! इन आभिनिबोधिकज्ञान यावत् केवलज्ञान,
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