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________________ १३६० भगवती सूत्र--श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान के पर्याय ११३ प्रश्न-हे भगवन् ! श्रुतज्ञान के कितने पर्याय कहे गये हैं ? ११३ उत्तर-हे गौतम ! श्रुतज्ञान के अनन्त पर्याय कहे गये हैं। इसी प्रकार अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान के भी अनन्त पर्याय कहे गये हैं। इसी प्रकार मतिअज्ञान और श्रुतअज्ञान के भी अनन्त पर्याय कहे गये हैं। ११४ प्रश्न-हे भगवन् ! विमंगज्ञान के कितने पर्याय कहे गये है ? ११४ उत्तर--हे गौतम ! विभंगज्ञान के अनन्त पर्याय कहे गये हैं। ११५ प्रश्न-एएसिणं भंते ! आभिणिबोहियणाणपजवाणं, सुयणाणपजवाणं, ओहिणाणपज्जवाणं, मणपजवणाणपजवाणं, केवलणाणपजवाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ? : ११५ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपजवणाणपजवा, ओहिणाणपजवा अणंतगुणा, मुयणाणपज्जवा अणंतगुणा, आभिणिबोहियणाणपजवा अणंतगुणा, केवलणाणपजवा अणंतगुणा । _. ११६ प्रश्न-एएसि णं भंते ! मइअण्णाणपजवाणं सुयअण्णाणपजवाणं विभंगणाणपज्जवाण य कयरे कयरहितो जाव विसेसाहिया वा ? ११६ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगणाणपज्जवा, सुयअण्णाणपजवा अणंतगुणा, मइअण्णाणपजवा अणंतगुणा । ११७ प्रश्न-एएमि णं भंते ! आभिणिवोहियणाणपजवाणं, जाव केवलगाणपजवाणं, मडअण्णाणपजवाणं सुयअण्णाण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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